नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट shiv chalisa lyricsl से मोहि आन उबारो॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
सजा दो shiv chalisa lyricsl घर को गुलशन सा मेरे भोलेनाथ आये हैं - श्री…
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